जयंत नार्लीकर की जीवनी व सिद्धांत । Jayant Narlikar biography in Hindi
Jayant Narlikar biography in Hindi भारतीय महानतम वैज्ञानिको मे से एक महान वैज्ञानिक, खगोल विज्ञानी और गणितज्ञ थे। जयंत नार्लीकर ने अपने जीवन मे खगोल और भौतिकी के क्षेत्र मे अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनका कार्य और योगदान भारत देश के हर युवा के लिए एक प्रेरणा का स्त्रोत है।
Jayant Narlikar biography in Hindi

पूरा नाम – डॉ. जयंत विष्णु नार्लीकर
जन्म – 18 जुलाई 1938
जन्मस्थान – कोल्हापुर, महाराष्ट्र
पिता – विष्णु वासुदेव नार्लीकर
माता – सुमती विष्णु नार्लीकर
पत्नी – मंगला (गणितज्ञ)
बेटियाँ – लीलावती, गिरिजा, गीता
प्रारंभिक जीवन – Early life of Jayant Narlikar
जयंत नार्लीकर का जन्म एक शिक्षित परिवार मे हुआ था। वे बचपन से ही बुद्धिमान थे। पढ़ाई मे सबसे तेज होने कारण वे बाकी छात्रों से परीक्षा मे ज्यादा अंक प्राप्त कर पाते थे। Jayant Narlikar ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बनारस मे पूरी की थी।
उनके पिता बनारस हिंदू विश्वविद्यालय मे गणित विभाग के प्रमुख तथा अध्यापक भी थे। उनकी माँ ने अपनी स्नातक की पढ़ाई संस्कृत विषय मे पूरी की थी। उन्हे अपने जीवन मे अपने दादाजी और पिता से सीख मिली थी। गणित विषय मे उन्हे जादा रुचि थी।
गणित विषय के साथ वे बाकी विषयों मे भी रुचि रखते थे। पढ़ना उनका शौक था। Jayant Narlikar ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बनारस मे पूरी की। सन 1975 मे जयंत नार्लीकर ने विज्ञान मे अपनी B.Sc. की पढाई पूरी की।
बनारस मे अपनी शिक्षा पूरी होते ही Jayant Narlikar अपनी आगे की पढाई के लिए ब्रिटन के केंब्रिज विश्वविद्यालय मे चले गए। केंब्रिज विश्वविद्यालय मे उन्होने अपनी पढाई गणित और खगोल विज्ञान मे जारी रखी थी। सन 1966 मे उन्होने गणित विषय की अध्यापिका मंगला सदाशिव राजवाडेजी से शादी कर ली।
वैज्ञानिक जीवन – Scientific life of Jayant Narlikar
जयंत नार्लीकर स्टीफन हॉकिंग को बहुत अच्छी तरह से जानते थे। जयंत नार्लीकर और स्टीफन हॉकिंग केंब्रिज विश्वविद्यालय मे एक ही विभाग पढते थे, उस समय स्टीफन हॉकिंग केंब्रिज विश्वविद्यालय मे जयंत नार्लीकर से कक्षा मे दो तीन साल पीछे थे।
जयंत नार्लीकर अपने देश के लिए कुछ करने की भावना से वे सन 1972 मे वे भारत वापस आए और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामैंटल रिसर्च मे खगोल विभाग के प्रमुख के रूप मे काम करने लगे। सन 1988, पुणे मे इंटर यूनिवरसिटि सेंटर फॉर अस्ट्रॉनॉमी अँड अस्ट्रोफ़िज़िक्स संस्था मे डायरेक्टर के रूप मे काम करने लगे।
उन्होने अपने जीवन मे कई सारी कल्पित और अकल्पित विषयों पर आधारित किताबे लिखी है। डॉ. जयंत नार्लीकर ने स्थायी अवस्था सिद्धान्त (Steady State Theory) के जनक सर फ्रेड हॉएल के साथ मिलकर कन्फॉर्मल ग्रॅव्हिटी थिअरी (हॉयल-नार्लीकर सिद्धान्त) को इस दुनिया से अवगत करवाया।
वे केंब्रिज विश्वविद्यालय मे सन 1966 मे इंस्टीट्यूट ऑफ थेरोटिकल अस्ट्रॉनॉमी के स्टाफ के सदस्य चुने गए थे। सन 1960 मे फ्रेड हॉएल की सिफारिश से वे अनुसंधान विद्यार्थी के रूप मे नियुक्त किए गए थे। डॉ. जयंत नार्लीकर ने कई राष्ट्रीय समितियों में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
उन्होने अपने जीवन के 19 साल बनारस मे गुजारे, बनारस मे उन्होने अपना बचपन गुजारा था। 15 साल केंब्रिज विश्वविद्यालय मे, 18 साल मुंबई शहर मे और 20 साल महाराष्ट्र के पुणे शहर मे गुजारे है। वे अभी अपने परिवार के साथ पुणे शहर मे रहते है।
Jayant Narlikar ने अपनी किताबों के माध्यम से विज्ञान आधारित समाज के निर्माण का प्रयास किया है। उनका हमेशा यह कहना था की पुरानी मान्यताओं से बाहर निकलने के लिए हमे एक नए वैज्ञानिक दृष्टिकोण की जरूरत है।
उनकी किताबे – Books by Jayant Narlikar
1) व्हायरस
2) टाइम मशीनची किमया
3) यक्षांची देणगी – महाराष्ट्र पुरस्कार
4) विश्वाची रचना
5) विज्ञानाची गरुडझेप
6) सूर्याचा प्रकोप
7) चार नगरातील माझ विश्व (जीवनी) – साहित्य अकादमी पुरस्कार
पुरस्कार – Awards
सर शांति स्वरूप भटनागर – सन 1978
पद्म भूषण – सन 1965
वेणू बापू – सन 1988, राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी
पद्म विभूषण – सन 2004
इंदिरा गांधी पुरस्कार – सन 1990, भारतीय विज्ञान अकादमी
स्मिथ पुरस्कार – सन 1962
महाराष्ट्र भूषण – सन 2010
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